कॉस्मिक कैलेंडर क्या है ? Cosmic Calendar : History of the universe in just 365 Days | Carl sagan| cosmic calendar in hindi

नमस्कार स्वागत है आपका स्पेस मॅजिका  पर आज हम बात करेंगे ‘द कॉस्मिक कैलेंडर की’ , आइये जानते है आंखिर यह कॉस्मिक कैलेंडर है क्या ? 

१३.८ अरब वर्ष पहले एक विशाल विस्फोट से हमारे विश्व का जन्म हुवा जिसमे तारे, ग्रह, आकाशगंगा, धूमकेतु और न जाने की अगणित खगोलीय वस्तुए है | पर सोचिये अगर हमारा विश्व एक वर्ष में तैयार हुवा होता तो ? तो कोनसी चीज़ कब तैयार होती. १ जनवरी को क्या होता ? पृथ्वी कौनसी तारीख को तयार होती, इन्सान का धरती पर आगमन कब होता ? इस कल्पना को ‘द कॉस्मिक कैलेंडर की’ कहते है ? इस कल्पना को महान वैज्ञानिक कार्ल सेगन ने १९७७ में उनकी किताब द draganos of एडेन में पहली बार इस्तमाल किया था 

कॉस्मिक कैलेंडर के अनुसार हमारे विश्व का जन्म १ जनवरी के पहले सेकेण्ड को हुवा और हम लोग दिसंबर महीने के आखरी दिन के आखरी सेंकड में जी रहे है | कॉस्मिक कैलेंडर के अनुसार १ सेकेण्ड ४३८ वर्षो के समान है | 
                            १ जनवरी को विश्व के विस्फोट के साथ १२ बजकर १५ मिनट को पहले nurtial एटम का जन्म हुवा | उसी दिन  हायड्रोजन और हिलिअम का भी  निर्माण भी हुवा | पहले तारे का जन्म १३ जनवरी को और सबसे प्राचीन ज्ञात गामा किरणों के उत्सर्जन स्त्रोत का निर्माण १४ जनवरी को हुवा | सबसे पुराना ज्ञात क्वेसार २१ जनवरी को तैयार हुवा |
२३ फरवरी के आते- आते हमारा विश्व २ अरब प्रकाशवर्षो तक फ़ैल चूका था |   १५ मार्च इतिहासिक दिन के रूप में उभरा क्योंकि इसी दिन हमारी आकाशगंगा जिसे हम “मिल्की वे’ के नाम से जानते है उसी दिन तैयार हुई थी | १८ मार्च हमारे आकाशगंगा के अधिकार तारो के जन्म का क्षण था | अगले दो महीने अप्रैल और मई में विश्व का निर्माण हो रहा था पर कुछ खास खबर हाथ ना लगी लेकिन ६ जून ऐसी तारीख है जिसमे विश्व के सभी भागो में तारो का निर्माण चरम पर था |  ५ जुलाई को घटी घटनासे विश्व के प्रसरण में अधिक भूमिका निभाई इस दिन डार्क एनर्जी गुरुत्वीय बल या ग्रॅव्हिटी से अधिक प्रबल हो गई | १ अगस्त का दिन फिर से इतिहासिक होता है क्योंकि इसी दिन विश्व में आकाशगंगाओ का निर्माण अपनी चरम सीमा में था | १ सितम्बर को हुई घटनाने इन्सान के अस्तित्व में आने की और पहला कदम रखा इसी दिन हमारे सूर्य का निर्माण हुवा | और २ सितम्बर को चंद्रमा धरती के एकलौते उपग्रह का जन्म हुवा | १६ सितम्बर को सबसे पुराणी ज्ञात चट्टान अस्तित्त्व में आई | अब धरती जीवन के निर्माण की ओर बढ़ रही थी १६ सितम्बर को यह इंतजार ख़त्म हुवा और धरतीपर जीवन अस्तित्व में आया | २ अक्टूबर याने भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के जन्मदिन के अवसर पर प्रकाशसंश्लेषण का आरम्भ हुवा | २६ अक्टूबर को पृथ्वी के वातावरण में पर्याप्त मात्रा ओक्सिजन घुल गया | ९ नवम्बर को पेशिओ में केंद्र का विकास हुवा और २९ नवम्बर को शैवालो में यौन प्रजनन हुवा | ५ दिसंबर को बहुपेशीय जिव तयार हुए | २० दिसंबर को जिव समुद्र से बाहर आए | २५ दिसंबर को डायनासोर का जन्म हुवा और ३० दिसम्बर को एक विशाल उल्का धरती पर गिरनेसे डायनासोर को धरती हमेशा-हमेशा के लिए छोड़नी पड़ी |
अब हम बढ़ाते इन्सान की और ३१ दिसंबर सुबह के ६ बजाकर ५ मिनट aap का आगमन हुवा | ३१ दिसंबर दोपहर के 2 :२४ मिनट  होमिओपॅथी  ३१ दिसंबर को रात को  १० : २४ primitiv इन्सान का जन्म हुवा | और इसी दिन १० : २४ मिनट रात  को पत्थर का इस्तमाल इन्सान ने किया उसे अश्मयुग कहते थे | ११ :४४ मिनट को इन्सान ने अग्नि की खोज की जिससे इंसानी जीवन में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए | अब धरती का इतिहास बदलने वाला था, क्योंकि ३१ दिसंबर रात ११ :५२ मिनट को आधुनिक मानव अस्तित्त्व में आया | रात ११ : ५८ को  इन्सान ने गुफोओमें चित्र बनाये | ११ :५९ :३२ को  इन्सान की सबसे बड़ी खोज , जिससे इन्सानो का भटकना खतं हुवा खेती की खोज ! ३१ दिसंबर ११ : ५९ :३९ को दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता अस्तित्त्व में आई | ३१ दिसंबर रात देर ११ : ५९ : ५४ सेकण्ड को एक धार्मिक घटना घटी विश्व को विपस्सना ध्यान पद्धति और सत्य ,शांति, अहिंसा  सन्देश देनेवाले  भगवान बुध्द का जन्म हुवा | ११ : ५९ : ५५ को सत्य, अहिंसा का सन्देश देनेवाले ईसामसी का जन्म हुवा | ११ : ५९ : ५६ को इश्वर एक ही है यह सन्देश देनेवाले प्रेषित मोहम्मद पैगम्बर का जन्म हुवा | इसी समय माया सभ्यता भी अस्तित्व में आई | इसी समय अशोकन साम्राज्य भी अस्तित्त्व में आया | ११ : ५९ : ५८ को भास्कराचार्य ने गणितीय सिधान्त दुनिया के सामने रखे और युरोप में प्रबोधन हुवा  दुर्बीन की खोज हुई , ख्रिस्तोफर कोलंबस ने अमरिका खोजी |
११ :५९ :५९ आधुनिक इतिहास का प्रारंभ हुवा |
और अब नए साल का नाया सेकेण्ड वर्त्तमान में भारत की आझादी विश्व युद्ध और जिस पल में हम जी रहे है वह पल | 

   

(*All images are from google.com)



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